जुलाई में कुल 47 बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया जा चुका है। बच्चे झारखंड के साहेबगंज, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, धनबाद, सिमडेगा एवं बोकारो जिले के थे
रांची। झारखंड सरकार द्वारा मानव तस्करी पर अंकुश को लेकर सख्त रवैये अपनाया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर पूरे देश से लगातार मानव तस्करी के शिकार लोगों को मुक्त कराने के साथ उनके पुनर्वास का भी काम किया जा रहा है। ताजा घटनाक्रम में मानव तस्करी कर दिल्ली ले जाये गये झारखंड के 26 बालक-बालिकाओं को मुक्त करा गुरुवार को झारखंड लाया जा रहा है।
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इससे पहले जुलाई में ही 21बच्चो को मुक्त करा कर उनके परिजनों को सौंपा गया है। ये बच्चे झारखंड के साहेबगंज, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, धनबाद, सिमडेगा एवं बोकारो जिले के थे। इस तरह जुलाई में कुल 47 बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया जा चुका है। इन बच्चों को एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र झारखंड भवन, नई दिल्ली द्वारा स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार दिल्ली के विभिन्न स्थानों से दिल्ली पुलिस के सहयोग से मुक्त कराया गया है। स्थानिक आयुक्त ने कहा है कि झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ते हुए उनकी सतत निगरानी की जाएगी।
एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र की अहम भूमिका
मानव तस्करी के शिकार लोगों को मुक्त कराने से लेकर उनके पुनर्वास तक में एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र की अहम भूमिका रहती है। केंद्र दिल्ली एनसीआर एवं सीमावर्ती राज्यों के बाल कल्याण समिति, बालगृहों एवं दिल्ली पुलिस के साथ लगातार सम्पर्क स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार झारखंड राज्य के बच्चों को वापस उनके गृह जिला भेजने के लिए समर्पित है। एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र के द्वारा 24 घंटे संचालित हेल्पलाइन नंबर 10582 है।
परामर्श सहित गृह सत्यापन की अपनायी जाती है प्रक्रिया
सभी बालक बालिकाओं का एकीकृत पुनर्वास -सह- संसाधन केंद्र के कर्मियों के द्वारा परामर्श एवं गृह सत्यापन जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी के माध्यम से कराया जाता है। इस कार्य में उप स्थानिक आयुक्त सह वरीय प्रभारी आईआरआरसी शहंशाह अली खान, नोडल पदाधिकारी, पुनर्वास संसाधन केंद्र नचिकेता मिश्रा, कार्यक्रम समन्वयक सुनील कुमार गुप्ता, परामर्शी निर्मला खलखो, प्रिंस कुमार, मंजू ठाकुर एवं राज्य द्वारा भेजे गए कोर टीम के सदस्य अशोक नायक, ओमप्रकाश तिवारी ,अनमोल कुमारी सुशीला सुंडी का अहम योगदान रहा है।
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